डॉ. कांता शर्मा का बुधवार सुबह देहांत

हिमाचल प्रदेश की चर्चित कवयित्री एवं साहित्यकार डॉ. कांता शर्मा का बुधवार सुबह देहांत हो गया। मंडी जिला से संबंध रखने वाली कांता शर्मा संवेदनशील कवयित्री, सांस्कृतिक शोधार्थी के अलावा एक अच्छी मंच संचालक भी थीं। उनके निधन से साहित्यिक जगत में शोक की लहर है। वे कुछ समय से बीमार चल रही थीं। दो दिन पूर्व उन्हें पीजीआई ले जाया गया था जहां बुधवार तड़के करीब साढ़े चार बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके परिवार में उनके पति नागेंद्र शर्मा, बेटी आकांक्षा और एक बेटा आयुष है।
29 दिसंबर 1966 को जन्मी कांता शर्मा जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान में बतौर प्रवक्ता के तौर पर कार्यरत थीं। हंसमुख और मिलनसार स्वभाव की कांता ने अपनी कविताओं और शोध कार्यों से हिमाचल के हिंदी साहित्य को समृद्ध किया। छोटी उम्र में ही शादी के बंधन में बंध जाने के बावजूद कांता ने दसवीं के बाद बीए और हिंदी में एमए की शिक्षा पूरी की।
इसके बाद एमफिल और डॉ. धर्मवीर भारती के उपन्यासों पर पीएचडी तक का सफर घर-गृहस्थी की जिम्मेदारियों के साथ पूरा किया। इसमें उनके पति नागेंद्र शर्मा का योगदान सराहनीय रहा। डॉ. कांता शर्मा के दो कविता संग्रह और दो शोध ग्रंथ प्रकाशित हो चुके हैं। वे हिंदी के अलावा पहाड़ी भाषा में भी कविताएं लिखती थी। उनकी रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती थी। इसके अलावा दिल्ली दूरदर्शन और आकाशवाणी से भी उनकी रचनाओं का प्रसारण होता रहा है। पांडुलिपियों के सर्वेक्षण में भी उनका कार्य सराहनीय रहा है। वे साहित्य की कई संस्थाओं से जुड़ी हुई थीं।
हिमाचल के साहित्यकारों और साहित्यिक संगठनों ने कांता शर्मा के निधन पर शोक व्यक्त किया है। हिमाचल प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ के राज्य अध्यक्ष दीनू कश्यप और जनवादी लेखक संघ के सचिव प्रो. सुंदर लोहिया ने कहा कि कांता शर्मा संभावनाशील कवयित्री थी। मशहूर कहानीकार एसआर हरनोट ने कांता शर्मा के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि यह विश्वास ही नहीं होता है कि कांता शर्मा हमारे बीच नहीं रही।


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Accuse not Nature, she hath done her part; do thou but thine.
John Milton
(1608-1674)
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