पावन सत्संग

परमात्मा मिलना उतना कठिन नहीं है जितना की पावन सत्संग का मिलना ! यदी सत्संग के द्वारा परमात्मा की महिमा का पत्ता न हो तो संभव है की परमात्मा मिल जाये फिर भी उसकी  पहचान न  हो , उनके वास्तविक आनंद से वंचित रह जाओ ! सच पूछो तो परमात्मा मिला हुआ हुआ ही है ! उससे बिछुड़ना असंभव है ! फिर भी पावन सर्संग के आभाव में उस मिले हुए मालिक को दूर समझ लेते है !

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