मौनव्रत
Posted by :रौशन जसवाल विक्षिप्त
ON
Sunday, December 20, 2009
2 comments

मौनव्रत का सर्वाधिक महत्त्व इसी में है की साधक अपनी चित्वृतियों को संयमित कर अपने लक्ष्य पर लगा दे ! वाणी का सायं रखना वरदान रूपों में सुखद होता है ! अत: हिन्दू धर्म व जैन धर्म में मौनव्रत की अनंत महिमा गाई गई है

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वाल्टर स्काट ने कहा भी है कि वाणी के हर शब्द में जो कुछ भी प्रीतिकर है उनमें निहित मौन और भी श्रेष्ठतम है हम सब के लिए शब्द गहरा है समय की तरह और मौन गहरा है शाश्वत की तरह
ReplyDeleteबढ़िया विचार।
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