जेन संत बेन्जोई ने अपना जीवन बच्चों को शिक्षा देने और उन्हें संस्कारित करने को समर्पित किया हुआ था वे अपने आश्रम में शिक्षा देते की सभी से प्रेम करों ! असह्यों की सेवा और मदद करों ! एक बार उनके यहाँ एक लड़का चोरी करते हुए पकड़ा गया ! संत ने उसे चोरी न करने की सलाह दी ! परन्तु उस लडके ने फिर चोरी की ! संत ने एक बार फिर उसे क्षमा कर दिया ! अन्य शिष्य इस बात से दुखी हुए की यह बार बार चोरी करता है और गुरुदेव इसे माफ़ कर देते है ! यह बात उन्होंने सैट को बताई और कहा की एसा चलेगा तो हम आश्रम छोड़ कर चले जायेगे ! संत ने उन सभी को समझाया की यह लड़का अपने पिता और भाइयों द्वारा ठुकराया गया और इसका पिता व्यसनी था ! इसे सुधरने का जिमा हमारा है ! सत ने उन्हें आगे समझाया की तुम अगर आश्रम से चले जाओगे तो अन्य कोई अध्यापक तुम्हे शिक्षा दे सकता है परन्तु इस लडके को कोई भी अपने पास नहीं रखना चाहेगा ! इसे सुधरने का मोका नहीं मिलेगा ! अन्य शिष्यों के साथ उस बालक ने भी संत की यह बात सुनी ! उसने सभी के सामने कसम खाई की वह भविष्य में कभी भी चोरी नहीं करेगा !आगे चल कर वह बालक सद्कार्यों में ही लगा रहा ! संत का प्रेम का पाठ सभी शिष्यों ने आत्मसात किया !
मित्रों के साथ साँझा करेंप्रेम करो
Posted by :रौशन जसवाल विक्षिप्त
ON
Sunday, January 24, 2010
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