बड़ु साहिब

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर ज़िला में राजगढ़ से 29  किलोमीटर दूर बड़ु साहिब: तपोभूमि, संतो की स्थली और शिक्षा के विस्तार की स्थली बन गई है! यहां जाने का मौका  मुझे 1995 में मिला उस समय किसी काम से राजगढ़ गया तो बड़ु साहिब जाने का अवसर मिला! बड़ु साहिब पर मेरा पहला लेख चण्डीगढ़ से प्रकाशित होने वले अखवार दैनिक ट्रिब्यून हिंदी में 24  जुलाई 1995  को छ्पा था!  तब से लेकर अब तक यहां अभूतपूर्व विकास हुआ है! 
बड़ु साहिब के तपोभूमि बनने की भविष्यवाणी लगभग 90 साल पहले ही हो गई थी ।  इस स्थली में संतो के चमत्कार भी इतिहास में दर्ज है । बडू साहिब का गुरूद्वारा, गुरू की स्तुति के लिए पूर्ण हो चुका है । जिसकी बाहरी सजावट देखते ही बनती है! बड़ु साहिब के प्रमुख कार्यक्रताओं से जानकारी लेते समय जान्कारी मिली की सजावट पर 30 करोड रूप्ये खर्च होने का अनुमान था लेकिन  इस राशि को शिक्षा के विस्तार पर खर्च करने का फैसला किया है ।
 यहाँ  पहले कच्चा गुरूद्वारा  पक्का सिक्ख हुआ करता था । 1986 में कलगीधर ट्रस्ट के अंतगर्त 5 स्कूल थे जिनकी संख्या अब बढकर 70 तक पहुंच गई है । इस ट्रस्ट की उतर भारत में 2012 तक 200 स्कूल खोलने की योजना है जिनकी संख्या 2020 तक 500 तक  बढाई जायेगी! बड़ु सहिब में 1960 से ही लंगर का आयोजन किया गया जा रहा है! 
 मान्यता है की  संत अतर सिंह ने अपने अनुयायियों को 18वीं सदी के अंत में इस स्थली को ढूंढने की बात कही थी । वर्तमान स्थली कभी जोगेन्द्र सिंह की मलकियत होती थी जिसे जोगेन्द्र सिहं ने संतो को सौंप दिया था । 1906 में सन्तो ने इस बात की भविष्यवाणी कर दी थी कि इस स्थली पर शिक्षा का अभूतपूर्व विकास होगा । इस स्थली को गौतम ऋषि, गुरू गोविद सिंह व गुरू नानक देव का आर्शीवाद भी प्राप्त है ।
 बड़ु साहिब में आध्यात्मिक तरीके से इस स्थान पर नशा मुक्ति केन्द्र भी संचालित किया जा रहा है । अढाई सौ बिस्तरों के अस्पताल में मरीजों का उपचार मुफ्त किया जा रहा है । हर साल 4 निःशुल्क कैम्पों के आयोजन के लिए डेढ करोड रूप्ये की राशि खर्च की जाती है ।  बडू साहिब में निर्मित गुरूद्वारें में 10 हजार श्रद्धालुओं के एक साथ बैठने की व्यवस्था है । साथ ही इस स्थान पर  युनिवर्सिटी की स्थापना भी की जा रही है ।
 बड़ु साहिब का वर्तमान स्वरुप हर किसी को आश्चर्य चकित कर देता है कि जंगल के बीच सन्तो के आर्शीवाद से यह धर्मस्थल बन पाया जो आज आस्था का केन्द्र बन गया है! सतनाम वाहेगुरु का पवित्र उदघोष आत्मिक शांति प्रदान करता है! शहरों की भागदोड़ से दूर यह सथल पुनः आने का आमंत्रण स्वतः ही देता है!

4 comments:

  1. जानकारी के लिये धन्यवाद

    ReplyDelete
  2. काफ़ी अरसे बाद आपने खुद को याद किया ! अच्छा है जी !

    ReplyDelete
  3. बडू साहिब के विषय में रोचक एवं महत्व पूर्ण जानकारी देने के लिए आभार. वैसे इस स्थान पर कई वर्षों से कलगीधर ट्रस्ट के सौजन्य से एक आवासीय विद्यालय अकाल अकादेमी के नाम से चलाया जा रहा है व अकाल कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलोजी कुछ वर्षों से संचालित है .बडू साहिब को वर्तमान बुलंदियों तक पहुँचाने में कुछ सेवा निवृत अधिकारीयों का भी योगदान रहा है.

    ReplyDelete
  4. padhte-padhte hi yatra kara di apne. tnx.

    ReplyDelete

It was the last night before sorrow touched her life; and no life is ever quite the same again when once that cold, sanctifying touch has been laid upon it.
Lucy Maud Montgomery
(1874-1942)
Discuss