महापंडित राहुल सांस्कृत्यायन की 107 वीं जयंति

 हिमाचल साहित्यकार सहकार सभा ने आज 9 अप्रेल को महापंडित राहुल सांस्कृत्यायन की 107 वीं जयंति पर बिलासपुर में साहित्यक सभा का आयोजन किया! तीन सत्रों मे आयोजित इस सभा में सांस्कृत्यायन के व्यकितत्व और कृतित्व पर विचार विमर्श हुआ तथा लेखक गोष्ठी, पत्र वाचन और कवि पाठ क आयोजन किया गया! आयोजन के मुख्यातिथि थे हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के सचिव प्रभात शर्मा और कार्यक्रम की अध्य्क्षता हिमाचल के व्योवृद्ध वरिष्ठ रचनाकार संत राम शर्मा ने की! इस अवसर पर बिलासपुर की ज़िला भाषा अधिकारी डा० अनिता शर्मा भी उपस्तिथ थी!
लेखक गोष्ठी में साहित्य्कात सभा के अध्यक्ष रतन चंद निर्झर ने राहुल सांस्कृत्यायन के हिमाचल पर लेखन पर विवेचना की और मन्डी के जगदीश कपूर ने  विवेचना पर अपने विचार व्यक्त किये!  आयोजन के दूसरे चरण में हिमाचल पत्रकार संघ के अध्यक्ष जय कुमार ने हिमाचल के साहित्य की प्रगति पर अपना पत्र वाचन किया!
तीसरे चरण में काव्य पाठ का आयोजन किया गया! इस सत्र में देहरादून के  तेज पाल नेगी, चण्डीगढ़ के रतन चंद रत्नेश, आलमपुर कांगडा़ के प्रीतम आलमपुरी, चम्बा के अशोक दर्द, हमीरपुए के नरेश राणा, सुंदरनगर के सुरेश सेन निशांत और पवन चॊहान, पद्दर मंडी के कृष्ण चंद महादेविया, मंडी के जगदीश कपूर, सोलन के प्रो० नरेन्द्र अरुण, बल्देव चॊहान ने काव्य पाठ किया जबकि बिलासपुर के  स्थानिय कवियों मेम अनुप मस्ताना, सुशील पुंडेर, रतन चंद निर्झर, प्रदीप गुप्ता, अरुण डोगरा रितु, रवि सांख्यायन, जगदीश जमथली, शक्ति उपाध्याय, राम लाल पुंडीर, कु० सुरभि शर्मा और स्वंत्रता सैनानी के० एल० दबड़ा ने काव्य पाठ किया!
इसी आयोजन में हिमाचल साहित्यकार सहकार सभा ने प्रतिवर्ष 9 अप्रेल को सांस्कृत्यायन जयंति पर साहित्यिक आयोअजन करने, और उनके सम्मान में साहित्यिक पुरस्कार शुरु करने और क्षेत्रिय स्तर पर हिमाचल साहित्यकार सहकार सभा के आयोजन करने  के निर्णय लइये गये ! सभा ने हिमाचल विधान सभा में पहाडी़ बोली के विकास के निर्णय पर खुशी जाहिर करते हुए सरकार का अभार व्यक्त किया गया!
सभा का निकट भविष्य में सहयोगी आधार पर काव्य और लघु कथा संकलन निकालने की योजना है! सभा का पता है
रतन चंद निर्झर, 
अध्यक्ष, हिमाचल साहित्यकार सहकार सभा,
मकान न० 210, रौड़ा सेक्टर 2,
बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश

फोटो साभार : जनोक्ति 

8 comments:

  1. राहुल जी बहुत बड़े यायावर थे. नमन...

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  2. Hindi sahitya ki uthan ke liye esi tarh aayojan karne ki aaj aawashyakata hai... esse hindi sahitya ke prachar prasar ko bal milega tatha aaj jis tarh se hindi ka sahityik prayog kam hota ja raha hai, महापंडित राहुल सांस्कृत्यायन ji kee kriton ka awalokan kar hindi ko sahi disha kee or agrasar ke prayas kiye ja sakte hain...
    Safal aayojan ke liye Dhanyavaad..

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  3. janab is tarah ke ayojan ke liye sbko badhai..... bilaspur se juda hoon isliye aur achhha laga........

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  4. इस प्रकार के आयोजन उत्साहवर्द्धक तो हैं ही साथ ही प्रेरणा दायक भी. बरसों पूर्व राहुल जी की सहचरी ( अब स्व. ) डा.कमला सांकृत्यायन से परिचय करने का सुअवसर प्राप्त हुआ था . मैं उनके व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित हुआ.
    इस लेख के लिए आभार !

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  5. dhanyvaad roshan ji.....hum sochte hi rah gaye aur aapne likh mara badhai

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  6. बहुत अच्छी जानकारी। धन्यवाद

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  7. भाई साहब
    आधार शिला तो वास्‍तव में ही आधार शिला है और उसने यह साबित भी करके दिखाया है। आज आवश्‍यश्‍कता है इस तरह के आयोजनों को दुनिया के सामने लाने की ताकि साहित्यिक आयोजन विभाग की बैशाखी से नाता तोड कर सक्षम हो जाएं।
    आपको और आयोजनों की जानकारी भी भिजवाता रहुगा

    इस कार्य के लिए बहुत बहुत साधुवाद

    आपका ही
    अ डो रीतू
    बिलासपुर
    94180 01471

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I dare say I am compelled, unconsciously compelled, now to write volume after volume, as in past years I was compelled to go to sea, voyage after voyage. Leaves must follow upon each other as leagues used to follow in the days gone by, on and on to the appointed end, which, being truth itself, is one—one for all men and for all occupations.
Joseph Conrad
(1857-1924)
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