हिमाचल निर्माता डा0 यशवंत सिंह परमार



आज हिमाचल निर्माता डा0 यशवंत सिंह परमार की पुण्य तिथि है! हिमाचल प्रदेश को अस्तित्व लाने और विकास की आधा्रशिला रखने में डा0 यशवंत सिंह परमार का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। लगभग 3 दशकों तक कुशल प्रशासक के रुप में जन जन की भावनाओं संवेदनाओं को समझते हुए उन्होने प्रगति पथ पर अग्रसर होते हुए हिमाचल प्रदेश के विकास के लिए नई दिशाएं प्रस्तुत की। उनका सारा जीवन प्रदेश की जनता के लिए समर्पित रहा वे उम्र भर गरीबों और जरुरतमंदों की सहायता करते रहे। सिरमौर जिला के चनालग गांव में 4 अगस्त 1906 को जन्मे डा0 परमार का जीवन संघर्षशिल व्यक्ति का जीवन रहा । उन्होने 1928 में बी0ए0 आनर्स किया  लखनउ से एम०ए० और एल०एल०बी०  तथा 1944 में समाज शास्त्र में पी एच डी की।  1929-30 में वे थियोसोफिकल सोसायटी के सदस्य रहे । उन्होने  सिरमौर रियासत में 11 वर्षों तक सब जज और मैजिसट्रेट (1930- 37)  के बाद जिला और सत्र न्यायधीश (1937 -41) के रुप में अपनी सेवाए दी।  वे नौकरी की परवाह ना करते हुए सुकेत सत्याग्रह प्रजामण्डल से जुड़े! उनके ही प्रयासों से यह सत्याग्रह सफल हुआ।  1943 से 46 तक वे सिरमौर एसोसियेशन के सचिव, 1946 से 47 तक हिमाचल हिल स्टेट कांउसिल के प्रधान, 1947 से 48 तक सदस्य आल इन्डिया पीपुलस कान्फ्रेस  तथा प्रधान प्रजामण्डल सिरमौर संचालक सुकेत आन्दोलन से जुड़े रहे। डा0 परमार के प्रयासों से ही 15 अप्रेल 1948 को 30 सियासतों के विलय के बाद हिमाचल प्रदेश बन पाया और 25 जनवरी 1971 को इस प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला।
1948 से 52 सदस्य सचिव हिमाचल प्रदेश चीफ एडवाजरी काउंसिल, 1948 से 64 अध्यक्ष हिमाचल कांग्रेस कमेटी,  1952 से 56 मुख्य मंत्री हिमाचल प्रदेश, 1957 सांसद बने और 1963 से 24 जनवरी 1977 तक हिमाचल के मुख्य मंत्री पद पर कार्य करते रहे किया!डा0 परमार ने पालियेन्डरी इन द हिमालयाज, हिमाचल पालियेन्डरी इटस शेप एण्ड स्टेटस, हिमाचल प्रदेश केस फार स्टेटहुड और हिमाचल प्रदे्श एरिया एण्ड लेगुएजिज नामक शोध आधारित पुस्तके भी लिखी। डा0 परमार  की सादगी और प्रदे्श के प्रति इमानदारी इसी बात से पता चलती है कि 17 वर्षों तक मुख्यमन्त्री पद पर कार्य करने के बावजूद मरणोपरान्त उनके बैंक खाते में मात्र 563 रुपये थे। डा0 परमार 2 मई 1981 को स्वर्ग सिधार गए। आज उनकी पुण्य तिथि पर हम हिमाचल वासी उन्हे उनके योगदान के लिए याद कर रहे है।

1 comments:

  1. हिमाचल निर्माता एवं इस माटी के सच्चे सपूत की पुण्य स्मृति को शत शत नमन ! उनके अनुकरणीय व्यक्तित्व से बहुत कुछ सीखने को मिलता है !

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A fearful man is always hearing things.
Sophocles
(496 BC-406 BC)
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