कन्हैयालाल नंदन



हिंदी के जाने माने साहित्यकार और पत्रकार कन्हैयालाल नंदन का  25 सितंबर को  निधन हो गया। वह 77 वर्ष के थे।  वह पिछले काफ़ी समय से डायलिसिस पर थे। उनके परिवार में पत्नी और दो पुत्रियाँ हैं। 
 उत्तर प्रदेश के फ़तेहपुर जिले में 1 जुलाई 1933 को जन्मे नंदन ने  डीएवी कानपुर से स्नातक , इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर  और भावनगर विश्वविद्यालय से पीएच.डी की। उन्होंने  4 वर्षों तक मुम्बई के महाविद्यालयों में अध्यापन कार्य किया। वह वर्ष 1961 से 1972 तक धर्मयुग में सहायक संपादक रहे। 1972 से दिल्ली में क्रमश: पराग, सारिका और दिनमान के संपादक रहे । तीन वर्ष तक दैनिक नवभारत टाइम्स में फ़ीचर संपादक, 6 वर्ष तक हिन्दी संडे मेल में प्रधान संपादक और 1995 से इंडसइंड मीडिया में निदेशक के पद पर कार्य  किया । नंदन को पद्मश्री, भारतेंदु पुरस्कार, अज्ञेय पुरस्कार और नेहरू फ़ैलोशिप सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। उन्होंने विभिन्न विधाओं में तीन दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखीं। वह मंचीय कवि और गीतकार के रूप में मशहूर रहे। उनकी प्रमुख कृतियाँ लुकुआ का शाहनामा, घाट-घाट का पानी, आग के रंग, समय की दहलीज़ बंजर धरती पर इंद्रधनुष,गुज़रा कहाँ कहाँ से आदि‍ तीन दर्जन पुस्तकें लिखी हैं जो विभिन्न विधाओं को समृद्ध करती हैं । वह मंचीय कवि और गीतकार के रूप में मशहूर रहे। साहित्य सुगंध की भावभीनी श्रद्धाजंलि !

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It is a true saying that a man must eat a peck of salt with his friend before he knows him.
Miguel de Cervantes
(1547-1616)
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