साहित्य संगम सोलन और संस्कृत अकादमी द्वारा संस्कृत साहित्यिक सम्मेलन का आयोजन


साहित्य संगम सोलन व संस्कृत
अकादमी हिमाचल सरकार के संयुक्त तत्वावधान मे संस्कृत साहित्यिक सम्मेलन का आयोजन
जिलाधीश कार्यालय के सभागार में आयोजित किया गया । आयोजन के प्रथम सत्र में
प्रकाण्ड विद्वान महामहोपाध्याय प्रो. केशव शर्मा
, अध्यक्ष स्वाधीन चन्द्र गौड तथा विशिष्ट अतिथि उपायुक्त मनमोहन शर्मा रहे
। अकादमी सचिव डॉ. केशवानन्द कौशल ने समस्त अतिथियों व विद्वानों का अभिनन्दन किया
और अकादमी के उपक्रमों से सभा को अवगत करवाया । डॉ. गौतम
, डॉ.
जगदीश ने क्रमशः संस्कृत पत्रकारिता व नई शिक्षा नीति पर विस्तार से प्रकाश डाला
डॉ. अमन दीप. डॉ. मनोज शैल सोशल मीडिया के माध्यम से संस्कृत पत्रकारिता की
उपयोगिता व वर्तमान सन्दर्भ मे आवश्यकता पर बल दिया । इस अद्भुत कार्यक्रम में
संस्कृत कालेज सोलन
, बाल व बालिका स्कूल सोलन तथा गूग्गाघाट
के विद्यार्थियों ने भी बढ़-चढ़ कर भाग लिया । विशिष्ट अतिथि उपायुक्त महोदय तथा
अध्यक्ष गौड जी ने इस प्रयास की प्रशंसा करते हुए प्रथम सत्र की सफलता के लिए अपना
आशार्वाद दिया । दूसरे सत्र में बहुभाषी कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जो
अतिमनोरंजक व शिक्षाप्रद रहा। कवियों ने अपने अपने अनुभव से सामाजिक
, राजनैतिक व सम सामायिक विषयों पर खूब तलवारें भॉजी इस सम्मेलन की विशेषता
रही कि वरिष्ठ कवियों के जमावड़े ने परिपक्कता का परिचय देते हुए श्रोताओं को
भरपूर आनन्द भी दिया और वाही वाही भी लूटी दोनों सत्रों का मंच संचालन साहित्यिक
जगत के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. शंकर वासिष्ठ ने किया। डॉ वासिष्ठ की टिप्पणियों व
सामंजस्यता को खूब शाबासी मिली मुख्यातिथि प्रो. केशव जी ने अपने आशीर्वचन में
कार्यक्रम की सफलता की भूरि-भूरि प्रशंसा की और अपनी संस्कृत में लिखी कविता का
वाचन भी किया। दूसरे सत्र के अध्यक्ष डॉ. सिसोदिया जी ने भी कविताओं पर टिप्पणियाँ
दी और सभी की भरपूर प्रशंसा की । इस कवि सम्मेलन में वरिष्ठ कवि मदन हिमाचली
,
डॉ. प्रेमलाल गौतम, डॉ. शंकर वासिष्ठ, रोशन जस्सवाल, डॉ नरेन्द्र शर्मा, नालागढ़ से यादव किशोर गौतम, प्रमोद हर्ष,सुमति सिंघल,जगदीशभारद्वाज, प्रताप
मोहन भारतीय

, हरिराम धीमान, विवेक धर
आदि ने अपनी कविताओं से श्रोताओं को आनन्दित किया ।

 

 
































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My father must have had some elementary education, for he could read and write and keep accounts inaccurately.
George Bernard Shaw
(1856-1950)
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