विश्‍वास तुम्‍हारा



शहर मे जब हो
अराजकता
सुर‍क्षित ना हो आबरू
स्‍वतंत्र ना हो सासें
मोड़ पर खड़ी हो मौत
तो मैं कैसे करू विश्‍वास तुम्‍हारा,
बाहर से दिखते हो सुन्‍दर
रचते हो भीतर भीतर ही षड़यंत्र
ढूंढते रहते हो अवसर
किसी के कत्‍ल का
तो मैं कैसे विश्‍वास कंरू तुम्‍हारा,
तुम्‍हारा विश्‍वास नहीं कर सकता मैं
सांसों में तुम्‍हारी बसता है कोई और
तुम बादे करते हो किसी और से
दावा
करते हो तुम विश्‍वास का
परन्‍तु तुम में भरा  है अविश्‍वास,
माना विक्षिप्‍त हूं मैं
कंरू मैं कैसे विश्‍वास तुम्‍हारा
तुम और तुम्‍हारा शहर
नहीं है मेरे विश्‍वास का पात्र। 

6 comments:

I can see the humorous side of things and enjoy the fun when it comes; but look where I will, there seems to me always more sadness than joy in life.
Jerome K. Jerome
(1859-1927)
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