संगीन अपराध- अरूण डोगरा रीतू





गरीब थी ,बेचारी रोज शहर में दिहाड़ी कमाने जाती, शाम ढलते ही वापस घर आ जाती थी । एक दिन उसकी बस छूट गई । बस अड्डे पर अकेली खडी थी । तभी एक दम तेज गति से एक कार रूकी,एक दादा टाईप लड़का उसके पास आया, बोला कहां जाना है, जी रामनगर !चलो कार मे छोड़ दें । जी नहीं लेकिन उस बदमाश ने भी उसे जबरदस्ती कार में बिठा लिया और मंत्री के फार्म हाउस पर ले गया । वहां पर मंत्री के बेटे और उसके चार अन्य साथियों ने उसका जीवन बर्बाद कर दिया । लड़की ने थाने में मंत्री के बेटे के विरूद्व रिर्पोट दर्ज करवा दी । सुबह समाचार पत्रों में मंत्री के लड़के द्वारा सामूहिक बलात्कार की खबर सुर्खियों में छप गई । पुलिस ने तुरन्त मंत्री के लाडले को गिरफतार कर लिया और थाने ले गई । तभी थाने में फोन की घंटी बजी, थानेदार ने फोन का रिसीवर उठाया तो मंत्री जी का फोन था,थानेदार अपनी खैरियत चाहते हो तो अभी मेरे बेटे को छोड़ दो वरना ! थानेदार जी सर अभी छोड देता हूं ! थानेदार ने मंत्री के लाडले को छोड़ दिया क्योंकि संगीन अपराध पर राजनीति हावी हो चुकी थी।

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The more highly public life is organized the lower does its morality sink.
E. M. Forster
(1879-1970)
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