नए साल की... (रतन चंद 'रत्नेश')

मेरी शुभकामनाएं..........
रात देर से सोये हम
आलोकित शहर की साज-सज्जा में
रात के जब बारह बजे थे
ठंड में दबी कोयले की आंच
कुनमुनाई थी जरा-जरा
नामचीन सड़क के चौराहे के आस-पास।
उघड़ी हुई मैली स्वेटर में दुबके 
अधनंगे बच्चों की नींद में
पटाखों और होटल के शोर  ने खलल डाला
बुड़बुड़ाए थे बुढ़ाते लोग
अधकचरी सोच और संस्कृति पर।
रात देर से सोये हम
उपहारों के पैकेट पर लिखते रहे
दिशाहीन भटक रहे नाम
लिस्ट बनाई
इंसोमेनियाग्रस्त और डिप्रेस्ड लोगों की
ताकि थोड़ी-सी नींद दे सकें उन्हें
नये साल के उपहार में।
रात देर से सोये हम
हर वर्ष  की तरह इस वर्ष  भी
असमय ही मरे थे असंख्य
खुर्दबीनी गलतियों से लोग
तरह-तरह के वायरसों से आक्रांत
मन और शरीरों के लिए
प्रार्थना करते रहे देर रात तक
रात देर से सोये हम।
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Our fear of death is like our fear that summer will be short, but when we have had our swing of pleasure, our fill of fruit, and our swelter of heat, we say we have had our day.
Ralph Waldo Emerson
(1803-1882)
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