मधुकर भारती नहीं रहे





विख्यात कवि-आलोचक व सर्जक पत्रिका के संपादक मधुकर भारती का शनिवार को आकस्मिक निधन हो गया। जैसे ही उनके निधन का समाचार मिला, प्रदेश के लेखकों में शोक की लहर दौड़ गई। अपने विनम्र स्वभाव के लिए युवाओं व वरिष्ठ लेखकों के बीच लोकप्रिय मधुक भारती की लेखन यात्रा चार दशक तक विस्तार लिए हुए है।

शिमला के ठियोग के रहने वाले मधुकर भारती उच्च अधिकारी के तौर पर सेवानिवृत हुए थे। डिवीजनल एकाउंट्स ऑफिसर के रूप में सेवा देने वाले मधुकर ऑल इंडिया एकाउंटस ऑफिसर्स एसोसिएशन के महासचिव रहे। उनका कविता संग्रह 'शरद कामिनी' बेहद चर्चित रहा। वे सर्जक पत्रिका का संपादन करते थे। मधुकर भारती के निधन पर देश भर के लेखकों की संवेदनाएं आ रही हैं। मधुकर भारती ने ठियोग जैसे छोटे कस्बे में रहते हुए अनेक सफल गोष्ठियां आयोजित की। उन गोष्ठियों में देश भर के चर्चित लेखक शामिल हुए। मधुकर भारती गद्य लेखन में सिद्धहस्त थे। उनके लिखे लेख कई संकलनों में शामिल रहे। उनकी कविताओं के प्रशंसकों में पहल के संपादक ज्ञानरंजन सहित देश के अन्य चोटी के कवि शामिल हैं। मधुकर भारती के निधन पर कथाकार एसआर हरनोट, वरिष्ठ कवि तेजराम शर्मा, वरिष्ठ कवि-आलोचक श्रीनिवास श्रीकांत, लेखक सुंदर लोहिया, केशव, कुलराजीव पंत, बद्री सिंह भाटिया, आत्मा रंजन, सुरेश सेन निशांत, प्रत्यूष गुलेरी, सरोज वशिष्ठ , रौशन विक्षिप्त सहित विभिन्न लेखक संगठनों ने गहरा दुख जताया है। मधुकर भारती के परिवार में उनकी पत्नी, बेटा व बेटियां हैं।

साभार्

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It is a true saying that a man must eat a peck of salt with his friend before he knows him.
Miguel de Cervantes
(1547-1616)
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